जिले में पहचान की मोहताज नही हैं सपा नेता ओपी वर्मा
लोकसभा चुनाव लड़ने की पेश की है प्रबल दावेदारी
सपा के इकलौते नेता ने दिखाया है चुनाव लड़ने का दमखम
शहर से ग्रामीण अंचल तक दर्ज करायी है उपस्थिति
सुलतानपुर(ब्यूरो)। समाजवादी शिक्षक सभा के पूर्व जिला महासचिव ओप्रकाश वर्मा जिले में किसी पहचान की मोहताज नही है। शोहरत जिले मंे इनकी इतनी है कि हर चर्चित व्यक्तियों के दिलों पर राज करते हैं। इनकी शालीनता-सौम्यता ही इनकी पहचान और राजनैतिक पूंजी है। इसी सरलता के दम पर इन दिनों पार्टी में चर्चा में चल रहे हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने की दावेदारी जिले से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक कर चुके हैं। टिकट शीर्ष नेतृत्व किस नेता को देगा ये तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना जरूर है कि 1999 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तब पार्टी ने कुर्मी समाज के नेता को चुनावी मैंदान उतारा, पार्टी चुनाव जीते-जीते रह गयी थी। इसी फारमूले पर मजबूती के साथ सपा नेता लगे हैं, उम्मीद भी जताई जा रही है कि सफलता मिल सकती है। गौर तलब हो कि ओमप्रकाश वर्मा जिले में ओपी वर्मा शिक्षक के नाम से मशहूर हैं 80 दशक के एमएसीबीएड हैं साधारण किसान के बेटे बिना कोचिंग किए आईएएस की प्रारम्भिक परीक्षा उत्तीर्ण की, किस्मत ने साथ नही दिया, वर्ना आज...........। बावजूद इसके हिम्मत नही हारी सुलतानपुर कान्वेट स्कूल में शिक्षक के रूप में सेवा की। राजनीति में इस कदर मशगूल हो गये कि अभी हाल में इस्तीफा दे दिया। ओपी वर्मा खुद बया करते हैं, 1994 से सपा पार्टी से जुड़े हैं। पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं, पार्टी में कई पदों पर आसीन भी हुए। इस दौरान चाहे लोकसभा, विधानसभा, नगरपालिका आदि चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। ओपी वर्मा नेता के साथ नेता, शिक्षक के साथ-साथ सामाजिकी सरोकार से नाता रखते हैं। कई सामजिक संगठनों में पदाधिकारी भी है, जिसके जारिए जनता के बीच समाज सेवा मे लगे रहते हैं। यही इनकी खूबी है।
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आर्थिक रूप से साधन सम्पन्न हैं ओपी वर्मा
सपा नेता ओमप्रकाश का परिवार सुशिक्षित (उच्च शिक्षा) हैं। अर्थिक रूप से साधन सम्पन्न भी है, राजनैतिक जीवन में सपना संजोए रखे हैं, सपने में पंख कैसे लगेगा? इसके लिए सुलतानपुर लोकसभा से टिकट पाने के लिए बड़ी मजबूती के साथ लगे है। अपनी मंशा को सपा हाइकमान के पास पहुंचा दिया है। अब निर्णय सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को करना है, श्री वर्मा का मानना है कि हर पदाधिकारी और कार्यकर्ता का हक है। लेकिन पार्टी टिकट किस नेता को देती है, उसके ऊपर निर्भर करता है। फिल-हाल ओपी वर्मा केे सपनें मंे चार-चांद लगेगा की नही यह राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय पर टिका है।