भारत हिंदू राष्ट्र बने या विश्व‌ गुरू भ्रामक वर्ण व्यवस्था के चलते बनिया रहेगा हमेशा थर्ड ग्रेड का ही हिंदू

भारत हिंदू राष्ट्र बने या विश्व‌ गुरू भ्रामक वर्ण व्यवस्था के चलते बनिया रहेगा हमेशा थर्ड ग्रेड का ही हिंदू


धार्मिक कार्यों में सबसे ज्यादा सहयोग देने वाला हर एक वैश्य व्यक्ति सामाजिक रूप से अक्सर होता है अपमानित-डी पी गुप्ता

सुलतानपुर, न्यू गीतांजलि टाइम्स  वैश्य समाज की वर्तमान सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करते हुए समाजसेवी पत्रकार डी पी गुप्ता एडवोकेट लिखते हैं कि हजारों साल से हिंदू धर्म के उत्थान और संरक्षण में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला वैश्य समुदाय आज सामाजिक लिहाज से एक थर्ड ग्रेड का हिंदू माना जा रहा है। धर्म के तथाकथित अगुआकार आज भी वैश्य समुदाय के लोगों के साथ तिरस्कारपूर्ण और भेदभावपूर्ण व्यवहार करते हैं। ये तत्व बनिया बक्काल शब्द को एक अपमानजनक जातिसूचक गाली की तरह प्रयोग करते चले आ रहे हैं। हर इलाके के कथित अगुआकार अपने क्षेत्र के हर सम्पन्न वैश्य व्यापारी से अनायास बेवजह ईर्ष्या द्वेष रखते हैं।  विदित हो कि दलित समाज के सहित‌ अनेक ओबीसी जातियां हिंदू समाज के इन्ही अगुआकार दबंगो की सामाजिक प्रताड़ना के चलते हिंदू धर्म को त्याग कर कब का बौद्ध धर्म अपना चुकीं हैं और अपने शादी विवाह आदि समस्त रस्मों को बिना पंडित बुलाये, बौद्ध धर्म के अनुसार सम्पन्न करा रहीं हैं। ये जातियां हिंदू धर्म को पूरी तरह त्याग चुकी हैं और खुद को संगठित कर एक शक्तिशाली वोट बैंक के रूप में स्थापित कर चुकीं हैं। इनकी एकता के चलते सभी राजनैतिक पार्टियां इनके खुशामद में लगातार लगी रहतीं हैं और अपने अपने दल में इन जातियों के प्रतिनिधियों को बहुत ही सम्मान पूर्वक स्थान देती हैं। चूंकि वैश्य समुदाय हिंदू धर्म व देश के उत्थान के प्रति जरूरत से ज्यादा समर्पित रहता है, जिसके चलते यह समाज शुरूआत से जनसंघ और भाजपा का कोर वोटर रहा है और भाजपा के संघर्ष काल से लेकर आज तक इसके साथ खड़ा रहा है परंतु आज की बीजेपी में आयातित साइबेरियन नेताओं का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि पुराने कार्यकर्ताओं सहित वैश्य व्यापारी समुदाय को उसकी समर्पण और निष्ठा का उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि वैश्य व्यापारी समुदाय बीजेपी का एक बंधुआ वोटर बन कर रह गया है। जिस तरह बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोटर रहे ओबीसी निषाद समाज ने हिंदुत्व के भ्रामक प्रचार में न आकर अपनी जातिगत एकजुटता की ताकत दिखाई है और अपने समाज के प्रत्याशी को जिता कर संसद भवन भेज दिया है‌। इससे निषाद समाज का दबदबा सभी राजनैतिक पार्टी में बढ़ा है। अब हर पार्टी निषाद समुदाय के वोटरों को गंभीरता से ले रही हैं। ऐसे में जिले के दो लाख और प्रदेश के करोड़ो वैश्य व्यापारी वोटरों को भी निषाद समुदाय से सीख लेते हुए भ्रामक हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मायावी मायाजाल से निकलना होगा। आज के दौर में हिंदुत्व के नाम पर जीतने वाले बहुतायत नेता हिंदू धर्म के सिद्धांतों और आदर्शों पर कतई नहीं चलते। ये भ्रष्ट आचरण‌ और कमीशन बाजी में आकंठ डूबे रहते हुए धर्म विरूद्ध आचरण कर रहें हैं। ऐसे भ्रष्ट और कमीशनबाज नेता सीधे तौर पर गैर संवैधानिक गैरकानूनी कार्य करते हुए देश और समाज का पैसा निगल रहें हैं। ऐसे में वक्त आ गया है कि अन्य ओबीसी जातियों से प्रेरणा लेते हुए वैश्य व्यापारी वोटर अब जागरूक होकर संगठित मतदान करे और अपने समुदाय के मान सम्मान व हितों की रक्षा करे।

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post