मुनि न होइ यह निसिचर घोरा, मानहु सत्य बचन कपि मोरा : रामभद्राचार्य
विजेथुआ महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित पांच दिवसीय रामकथा के पहले दिन अंजनी पुत्र हनुमान जी के बल का वर्णन करते हुए पद्मविभूषण, तुलसी पीठ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि अपार बल के धनी अंजनीपुत्र हनुमान जी महराज की कथा का अंत नहीं है। ये महा बलशाली, महा प्रतापी, महाशूरवीर थे। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि जब लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा तो सुखेन वैद्य ने हनुमान जी को हिमगिरी पर्वत भेजा था, यह कहकर कि अगले सूर्योदय के पहले यदि संजीवनी बूटी आती है तभी लक्ष्मण के प्राण बच पायेंगें। राम का आदेश लेकर हनुमान जैसे ही आकाश मार्ग से हिमगिरी पर्वत की तरफ जाने लगे तो पुराणों में वर्णित इसी स्थान (विजेथुआ) पर राक्षस कालिनेमी ने हनुमान जी का मार्ग साधू भेष धारण कर रोक दिया था, लेकिन सब कुछ सच सामने आते ही हनुमान जी ने राक्षस का वध कर संजीवनी लाने चले गए थे। सूर्योदय के पहले संजीवनी लाने से लक्ष्मण के प्राण बचे थे। अंजनी पुत्र का बखान करते हुए रामभद्राचार्य महराज जी ने कहा अतुलित बलामम, हेम शैलाभ देहम यूं हीं नहीं हनुमान जी को कहा गया है। ये स्वयंभू है जिनका वर्णन पुराणों में भी है। त्रेतायुग में भगवान् राम के आदेश पर हनुमान जी कलियुग में विद्यमान हैं। आज भी उनका गुणगान हो रहा है। धाम में सफाई को लेकर रामभद्राचार्य ने कह दी बड़ी बात अपने प्रवचन के दौरान रामभद्राचार्य जी ने कहा कि वर्ष 1971 में जब मैं धाम विजेथुआ आया था, तब यहां मकड़ी कुंड में साफ सफाई थी, लेकिन अब हालात चिंताजनक है। मैं यहां की जिलाधिकारी से बोलना चाहता हू इंतजाम किया। कलश यात्रा में मातृशक्तियों का अनूठा अंदाज 1008 कलश सर पर धारण किये मातृ शक्तियों की श्रृंखला विजेथुआ महोत्सव के संरक्षक विवेक तिवारी के आवास से चलकर धाम पहुंची। ऐसा लग विजेथुआ महोत्सव के पहले हनुमानभक्तों को संबोधित करते स्वामी रामभद्राचार्य महाराज। 'सरकार के अधीन न रहे मंदिर' पौराणिक स्थल विजेथुआ महावीरन में आयोजित विजेथुआ महोत्सव में पहुंचे जगतगुरू पदम विभूषण स्वामी राम भद्राचार्य ने बड़ा बयान दिया है। मीडिया से मुखातिब तुलसी पीठाधीश्वर ने कहा कि जो अत्याचार मुस्लिम धर्म कर रहा है वह सहन करने के योग्य नहीं है। हिंदू मंदिरों से सरकार के अधिग्रहण को हटाने की बात भी जगत्गुरूने कही। शुक्रवार को राम कथा सुनाने हूं कि यह कार्य प्राथमिकता से देख लें। स्वयंसेवकों ने संभाली व्यवस्था की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारियों ने महोत्सव में चढ़ बढ़कर हिस्सा लिया। पूरे कार्यक्रम में पंडाल के आसपास दिखाई दिए सभी के बैठने का रहा था कि 14 वर्षों के बनवास के बाद भगवान् राम का आगमन जब अयोध्या में हुआ। था तो पूरी अयोध्या में जश्न जैसा माहौल रहा था। शोभायात्रा निकाल जगद्गुरु की अगवानी की गई। कथा प्रारंभ से पूर्व जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ढकवा बाजार से रिसीव कर विजेधुआ धाम ले आया गया। इस दौरान लोगों में गजब का उत्साह दिखाई पड़ा। लोग चार पहिया वाहन, मोटर साईकिल से अगवानी कर रहे थे। अगवानी के दौरान भक्तिमयी नारों से समूचा इलाका गुंजायमान हो रहा था। बिजेचुआ महावीरन पहुंचे स्वामी राम भद्राचार्य हिंदू धर्म को लेकर आक्रामक मुद्रा में दिखे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बहराइच की घटना का नाम लिए बिना कहा कि दुर्गापूजा में कितना बड़ा अनर्थ हो गया आप सबने देखा है। हिंदुओं को एकजुटता की सीख देते हुए स्वामी जी ने आगे कहा कि अगर बटोगे तो काटे जाओगे। राम जन्मभूमि का फैसला सुप्रीम कोर्ट में मेरी गवाही से हुआ है तो मथुरा का भी फैसला होगा।