अधिशाषी अभियंता हत्याकांड में हत्या आरोपी जे.ई की जमानत याचिका निरस्त
सुल्तानपुर, न्यू गीतांजलि टाइम्स। जनपद के चर्चित अधिशाषी अभियंता हत्याकांड में जेल में बन्द आरोपी जे.ई अमित कुमार की जमानत याचिका न्यायाधीश राकेश पाण्डेय ने खारिज कर दी है।आरोपी जे.ई अमित कुमार के अधिवक्ता सत्येंद्र लक्ष्मी शुक्ला ने बताया कि कोतवाली नगर के विनोवापुरी मोहल्ले में किराए के मकान में बीते 17 अगस्त को बलिया जिले के रतसड कला गांव निवासी जल निगम ग्रामीण के अधिशाषी अभियंता संतोष कुमार की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। जिसमें विभाग के ही जूनियर इंजीनियर अमित कुमार और उसके साथी प्रदीप राम को मृतक अभियंता के भाई द्वारा आरोपी बनाया गया था।घटना में चश्मदीद संदीप विश्वकर्मा द्वारा कहा गया कि 17 अगस्त को सुबह 8:00 बजे जे ई अमित कुमार द्वारा अधिशासी अभियंता के नौकर संदीप विश्वकर्मा को ₹500 देकर दही और जलेबी लाने के लिए भेजा।वह लौट कर आया तो देखा की अभियुक्त अमित कुमार और उसका साथी प्रदीप ने अधिशासी अभियंता संतोष कुमार की पीट-पीटकर एवं मुंह पर टेप चिपका कर हत्या कर दी है।अभियुक्त अमित कुमार जे.ई के अधिवक्ता सत्येंद्र लक्ष्मी शुक्ला द्वारा बचाव में कहा गया कि "ना तो आरोपी जे ई अमित की गिरफ्तारी घटनास्थल से हुई है ना ही उसके पास से कोई बरामदगी है ना ही घटना के संबंध में कोई सीसीटीवी फुटेज।" पुलिस द्वारा केस डायरी में दाखिल किया गया है।चश्मदीद द्वारा घटना के समय अभियुक्त के हाथ एवं कपड़ों पर खून लगे होने की बात कही गई है परंतु अभियुक्त के पास से खून से आने कपड़े या किसी भी तरह की कोई रिकवरी नहीं है।अभियुक्त के अधिवक्ता सत्येंद्र लक्ष्मी शुक्ला द्वारा बचाव में तर्क रखा गया कि घटना में खुद को चश्मदीन साक्षी कहने वाले संदीप विश्वकर्मा विवेचना की शुरुआत में खुद संदिग्ध था। बाद में पुलिस द्वारा उच्च अधिकारियों और मीडिया के बढ़ते दबाव के चलते संदीप विश्वकर्मा को घटना का चश्मदीद साक्षी बनाते हुए विभाग के जूनियर इंजीनियर और उसके साथी को घटना का अभियुक्त बना दिया।जबकि यह घटना प्रभावशाली लोगों द्वारा विभाग में चल रहे घोटालों को दबाने के लिए कराई गई है। जिससे अभियुक्त का कोई वास्ता सरोकार नहीं है बचाव पक्ष की अधिवक्ता प्रस्तुत किया गया की प्रथम सूचना रिपोर्ट में वादी मुकदमा द्वारा कहा गया है कि घटना का कारण ढाई सौ पेज की चार्जशीट तैयार करना था।पुलिस जांच में स्पष्ट हुआ कि इस प्रकार की किसी भी चार्जशीट की तैयारी या चार्जशीट की जानकारी विभाग के पास नहीं है। ना ही विभाग के पास कोई ऐसी अभिलेख उपस्थित हैं जो यह साबित करते है कि अभियुक्त अमित कुमार जे.ई व उसके साथी के विरुद्ध चल रही हो। अभियोजन द्वारा जमानत का विरोध करते हुए कहा गया की घटना गंभीर प्रकृति की है। एवं घटना में चश्मदीद साक्षी द्वारा पुलिस एवं न्यायालय को अपना बयान दर्ज कराते हुए घटना को स्वयं देखें जाने तथा अभियुक्त अमित कुमार जे.ई एवं उसके मित्र द्वारा घटना को कारित किया जाना बताया गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय न्यायाधीश एससी एसटी राकेश पांडे द्वारा अभियुक्त अमित कुमार का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया।