टीएससीटी ने की दिवंगत शिक्षक के परिवार की आर्थिक मदद
सुलतानपुर, न्यू गीतांजलि टाइम्स। जनपद सुलतानपुर में कार्यरत स्व0 सुरेश कुमार यादव की नॉमिनी सुमन यादव जी के खाते में लगभग 50 लाख रु से अधिक की आर्थिक मदद प्रदेश भर के शिक्षकों द्वारा टीएससीटी के बैनर तले किया गया। कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षकों के लिए वरदान बनी है टीचर्स सेल्फ केयर टीम बीस शिक्षक परिवार को प्रदान की गयी दस करोड़ पचास लाख की सहायता राशि मात्र सत्रह रुपये प्रति परिवार का सहयोग करके। टीचर्स सेल्फ केयर टीम शिक्षकों द्वारा बनाई गई शिक्षकों का शिक्षकों के लिए एक ऐसा संगठन है जो अपने शिक्षक सदस्य की आकस्मिक मृत्यु पर उनके परिवार का सहारा बनता है और बूंद-बूंद के सहयोग से 50 लाख रुपए से अधिक की सहायता प्रदान करता है। ऐसा ही एक बार फिर कर दिखाया टीचर्स सेल्फ केयर टीम ने। सुलतानपुर जनपद के स्व सुरेश कुमार यादव जो प्राथमिक विद्यालय नसदपुर ब्लॉक अखंडनगर में कार्यरत थे जिनकी मृत्यु मई माह में अचानक हो गयी थी। टीचर्स सेल्फ केयर टीम के लगभग तीन लाख सदस्यों द्वारा मात्र 17 रुपये के सहयोग से 11 दिनों में उनकी नामिनी सुमन देवी के खाते में 50 लाख से अधिक का सहयोग प्रदान कर दिया। इन 11 दिनों में प्रदेश के 20 शिक्षकों के नामिनी के खातो में मात्र 17-17 रुपये की न्यूनतम सहयोग से कुल दस करोड़ पचास लाख रु से अधिक की सहायता प्रदान की गयी। जनपद सुलतानपुर के टीएससीटी संयोजक अरुण सिंह ने बताया कि टीम की स्थापना 26 जुलाई 2020 को प्रयागराज के बेसिक विद्यालय के अध्यापक विवेकानंद आर्य द्वारा अपने साथियों के साथ की गयी तब से 200 से ज्यादा दिवंगत साथियों के परिवारों को 75 करोड़ से अधिक सहायता सीधे खातों में भेजी जा चुकी है। प्रदेश के इतिहास में किसी संस्था द्वारा इतना बड़ा सहयोग पहली बार हुआ है जिसके कारण पूरे देश मे टीचर्स सेल्फ केयर टीम की चर्चा हो रही है। टीएससीटी प्रांतीय आईटी सेल प्रभारी पूनम झा ने बताया कि हर जनपद में टीम बनी हुई है। सुलतानपुर जनपद संयोजक और प्रवक्ता के साथ सहसंयोजक जगन्नाथ रावत, बिपिन वर्मा, रजनीश कुमार, संतोष शुक्ला, वंदना यादव, संजय पांडेय, योगेश पांडेय, सचिन पटेल, विनीत शुक्ल तथा सभी ब्लॉक स्तरीय टीम बनी हुई है। सुलतानपुर जनपद से कुल 7600 से अधिक शिक्षकों ने जुडकर सहयोग किया। "टीएससीटी में बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा तथा डायट के शिक्षक, BEO, शिक्षामित्र, अनुदेशक और अनुचर जुडकर सदस्य बन सकते हैं।" "हम सभी शिक्षक हैं तथा शिक्षक का काम ही दूसरों का जीवन सँवारना होता है। हम उन सभी का स्थान तो नहीं ले सकते लेकिन दुख की इस घड़ी में हम अपने शिक्षक साथी के परिवार के साथ दो कदम अवश्य ही चल सकते हैं। हमारा सहयोग ही उनको इस दुख की घड़ी में मनोबल प्रदान करेगा।"