सुल्तानपुर में लोकतंत्र और न्याय की मिसाल
हाईकोर्ट ने सेमरीकला ग्राम प्रधान सतीश धुरिया का अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र ठहराया वैध
विरोधी प्रत्याशी पर केस दर्ज करने का आदेश
सुल्तानपुर
लोकतंत्र में न्याय देर से भले मिले, लेकिन जब मिलता है तो मिसाल बन जाता है। कुछ ऐसा ही उदाहरण जनपद सुल्तानपुर के लंभुआ तहसील अंतर्गत ग्रामसभा सेमरीकला के ग्राम प्रधान सतीश धुरिया के मामले में देखने को मिला, जहां लखनऊ हाईकोर्ट ने उन्हें न्याय प्रदान करते हुए उनके अनुसूचित जाति (SC) प्रमाणपत्र को वैध करार दिया और विपक्षी प्रत्याशी पर साजिश व फर्जीवाड़े का गंभीर आरोप सही मानते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि जुलाई 2015 में सतीश धुरिया ने लंभुआ तहसील से 'गोड़' जाति का अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र प्राप्त किया था। सेमरीकला ग्रामसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। इसी प्रमाणपत्र के आधार पर उन्होंने ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा और विजयी हुए।
विपक्ष की साजिश और विवाद की शुरुआत
चुनाव में पराजित हुए प्रत्याशी छोटेलाल ने चुनाव हारने के मात्र 13 दिन बाद सतीश धुरिया के नाम से ही कहार जाति (जो कि अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है) का फर्जी प्रमाणपत्र बनवा लिया। इसी प्रमाणपत्र को आधार बनाकर उन्होंने धुरिया के चुनाव को चुनौती दी और जाति को लेकर विवाद खड़ा कर दिया।
प्रशासनिक स्तर पर निराशा और न्यायिक लड़ाई
जिला स्तरीय अधिकारियों ने सतीश धुरिया का पक्ष खारिज कर दिया, जिससे विवश होकर उन्होंने लखनऊ हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने मामला पहले जिला स्तरीय स्कूटनी कमेटी को भेजा, जहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद अपील मंडलीय स्कूटनी कमेटी, अयोध्या में की गई।
हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद लखनऊ हाईकोर्ट ने सतीश धुरिया को बड़ी राहत देते हुए कहा कि लंभुआ तहसील से निर्गत गोड़ जाति का SC प्रमाणपत्र सही व वैध है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि छोटेलाल ने कूटरचित दस्तावेजों और साजिश के तहत फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर न्याय प्रक्रिया को गुमराह करने की कोशिश की।
फर्जीवाड़े पर कड़ा रुख, केस दर्ज करने का आदेश
कोर्ट ने छोटेलाल के खिलाफ धारा 419 (व्यक्ति बनकर धोखा देना), 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जी दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी हेतु जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग), और अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(5) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
प्रशासन को नया प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश
कोर्ट ने जिले के जिलाधिकारी को अगले चार सप्ताह के भीतर सतीश धुरिया को नया अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र निर्गत करने का स्पष्ट निर्देश दिया है। साथ ही सतर्कता प्रकोष्ठ, पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय की जांच में भी पुष्टि हुई कि धुरिया का SC प्रमाणपत्र पूर्णतः वैध है।
ग्रामसभा में खुशी का माहौल
इस निर्णय के बाद सेमरीकला ग्रामसभा में खुशी की लहर है। सतीश धुरिया के समर्थक और शुभचिंतक इस निर्णय को लोकतंत्र की जीत और न्याय की स्थापना बता रहे हैं। स्वयं धुरिया ने मीडिया से बातचीत में कहा, "यह निर्णय मेरे लिए नहीं, पूरे लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था रखने वालों के लिए प्रेरणा है। झूठ, फरेब और साजिश को अंततः हारना ही पड़ता है।"
यह मामला न केवल ग्राम स्तर पर सत्ता की लड़ाई का एक उदाहरण है, बल्कि न्यायपालिका की संवेदनशीलता और तत्परता का भी परिचायक है, जिससे आम जनमानस में न्याय के प्रति भरोसा और गहरा हुआ है।