भागवत महापुराण एक ऐसा अमृतमयी कथा है जिसका एक एक बूंद अमृत के समान है।
चांदा सुल्तानपुर इशीपुर मे आयोजित संगीमयी श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान महायज्ञ के तृतीया दिवस मे श्रीधाम कुशभवनपुर से पधारें डा.गिरीश चंद्र तिवारी जी महाराज ने कथा को विस्तार से कहते हुए बतलाया कि श्रीमद्भागवत महापुराण में एक ऐसा रस है इसकी एक-एक बूँद अमृत के समान है इस रस की एक-एक बूंद ग्राह्य है। श्रीमद्भागवत कथा का रस कान से पिया जाता है हृदय में ग्रहण किया जाता है।राम कथा सत् किरण समाना संत चकोर करई जेहि पाना चौपाई का व्याख्यान करते हुए श्रीमद्भागवत के श्रवण का महात्म बताया श्री व्यास जी ने कथा को आगे बढाते हुऐ कहा कि राजा परीक्षित ने भागवत कथा सुनते हुए सुकदेव महाराज से दो प्रश्न किया एक तो जिसके पास जीवन में समय है उसे क्या करना चाहिए और दूसरा जिसकी मृत्यु सामने खड़ी हो उसे क्या करना चाहिए इन्ही दो प्रश्नों का जवाब श्रीमद् भागवत कथा में आता है उन्होंने कहा वज्र से भी मजबूत भगवान का शरीर होता है वही फूल से भी कोमल नारायण का स्वभाव है। श्रीमहाराज ने कहा मानव बंदरो का विकसित स्वरूप नही मनु व सतरूपा की संतान है नारी से ही सृष्टि की रचना हुई इसीलिए उन्हे मातृ शक्ति कहा गया है। भगवान ब्रह्मा जी ने नारी को अधिकारी बनाया है इसीलिए पिता से माता का स्थान दस गुना है। भगवान् ने भी हमेशा नारी शक्ति को सर्वोच्च स्थान दिया श्री व्यास जी ने मनु सतरूपा की संतान देवहुति व ऋषि कर्दम के विवाह और उनकी नौ पुत्रियों व दसवी संतान के रूप मे भगवान कपिल के जन्म की कथा का वर्णन किया।राजा उत्तान पाद की दो रानियो सुरुचि व सुनीति के पुत्र ध्रुव के चरित्र का प्रसंग सुनाया कथा के दौरान मुख्य यजमान श्रीमती आशा मिश्र पत्नी विनोद मिश्र ने विधि विधान से व्यासपीठ का पूजन अर्चन किया महाराज के श्रीमुख से भजनो को सुनकर श्रोतागण भावविभोर हो उठे इस अवसर पर कुलगुरु महेंद्र मणि त्रिपाठी जी महाराज,अनिल मिश्र,अंकित मिश्र,विपिन कुमार मिश्र,अंकुर, आनंद,अमित,बब्लू,आयूष, राहुल,अर्पण मिश्र एवं बडी संख्या मे कथा प्रेमियो ने कथा को श्रवण किया।