आफिस में बुजुर्ग को खड़ा करवाये रखने के एवज में पूरे स्टाफ को बीस मिनट तक खड़े रहने की सजा दी
डी पी गुप्ता
सुल्तानपुर, न्यू गीतांजलि टाइम्स। संविधान में भले ही आम जनता को जनार्दन की श्रेणी दी गई है, परंतु सरकारी कार्यालयों में इस जनता जनार्दन का कैसे कैसे मान मर्दन होता है, इसकी गवाही देश के करोड़ों लोग दे सकते हैं। भारत के सरकारी कार्यालयों में टाल मटोल वाली व्यवस्था को झेलने वाले आम नागरिकों के मनोभावों की समीक्षा करते हुए समाजसेवी पत्रकार डी पी गुप्ता एडवोकेट लिखते हैं कि आम जनता के टैक्स से चलने वाली सरकारी कार्य-प्रणाली में चीजों को सुचारू रूप से संचालन करने हेतु अनेकानेक विभाग बनाए गए हैं जिसमें कार्य-निष्पादन के लिए लाखों सरकारी कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं । इन सरकारी कर्मचारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी रहती है कि वे आम जनता को उन सभी सुविधाओं को पूरी शालीनता के साथ उपलब्ध करायें जिसके लिए वे तैनात किये गये हैं। परंतु दुर्भाग्य का विषय है कि आम जनता को उनके मूल संवैधानिक अधिकार भी बड़ी जद्दोजहद के बाद मिलते हैं। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों से अपने साथ शालीन व्यवहार पाना आम जनता के लिए दूर की कौड़ी है। पिछले दिनों मीडिया में एक अजीबो-गरीब खबर प्रकाशित हुई,जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई। हुआ यूं कि नोएडा प्राधिकरण के आवासीय प्लाट विभाग में एक बुजुर्ग अपने संपत्ति स्थानांतरण के कार्य करवाने के लिए पहुंचे। वे करीब 45 मिनट तक काउंटर पर खड़े रहे परंतु दूसरी तरफ बैठे सरकारी कर्मचारी ने उनकी बात तक नहीं सुनी। उसी दौरान अपने आफिस में बैठकर सीसीटीवी स्क्रीन का अवलोकन कर रहे प्राधिकरण के सीईओ डा लोकेश एम ने महसूस किया कि आफिस में एक बुजुर्ग काफी देर से खड़े हैं। उन्होंने अपने मातहतों को उन बुजुर्ग को बैठाने और उनका काम तत्काल करने का निर्देश दिया। उनके आदेश के बावजूद स्क्रीन पर कोई बदलाव न दिखता देख वे सीईओ दफ्तर से सीधे आवासीय प्लाट विभाग पहुंच कर वहां के कर्मचारी को बुजुर्ग के काम में हीलाहवाली करने और उन्हें लंबे समय तक खड़ा रक्खे जाने पर पूरे विभाग के कर्मचारियों को 20 मिनट तक खड़े रहने का निर्देश दिया। इस दौरान उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि बीस मिनट तक खड़े रहने के बाद ही आप लोगों को आफिस आने वाले उन बुजुर्ग सहित अन्य आम जनों का दर्द समझ में आयेगा। एक उच्च अधिकारी द्वारा आम नागरिक के साथ किये गये उपेक्षित व्यवहार को इतनी गंभीरता से लेना और उसके एवज में अपने सरकारी अमले को बीस मिनट तक खड़ा करवा देने की घटना पूरे देश के सरकारी कार्यालयों में आम नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता बरतनें की एक अद्भुत उदाहरण बन गई है।