डॉ कुसुम चौधरी को "निर्मल स्मृति सम्मान" से किया गया सम्मानित
न्यू गीतांजलि टाइम्स। डॉ कुसुम चौधरी को प्रयागराज महाकुंभ में निर्मल स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। मूलतः डॉ. कुसुम चौधरी गांव के एक साधारण परिवार से संबंध रखती हैं। उनके पिता प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे। इनकी पढ़ाई सरकारी विद्यालय में हुई और इनकी मां बिल्कुल भी पढ़ी लिखी नहीं थी। वह एक घरेलू महिला थी लेकिन शिक्षा का महत्व बखूबी जानती थी। डॉ. कुसुम चौधरी उच्च प्राथमिक विद्यालय जौरास त्रिवेदीगंज बाराबंकी में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। लेखन के क्षेत्र में इन्होंने बहुत सारी उपलब्धियां प्राप्त की है। साहित्य की विभिन्न विधाओं में लिखते हुए इन्होंने अपनी प्रतिभा में निखार लाने का अथक प्रयास किया है। इन्हें "द बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" की तरफ से विभिन्न विधाओं में तीन विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कुम्भ नगरी प्रयागराज में सम्पन्न हुए कपिलश फाउंडेशन संस्था द्वारा डॉ. कुसुम चौधरी को "निर्मल स्मृति सम्मान" से सम्मानित किया गया। इसी सम्मान समारोह कार्यक्रम में द बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्था के प्रमुख समीर सिंह द्वारा डॉ. कुसुम चौधरी को इनकी पुस्तक "फुलमतिया" अवधी एकांकी के लिए विश्व की पहली अवधी एकांकी का विश्व रिकॉर्ड प्रदान किया गया। इसका प्रकाशन नीतू आनन्द पब्लिकेशन द्वारा किया गया है।
डॉ. कुसुम चौधरी ग़ज़लकारा के रूप में प्रख्यात हैं इनको सबसे छोटी बहर में ग़ज़ल लिखने के लिए विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। डॉ. कुसुम चौधरी को खड़ी बोली में प्रथम सोरठा गीत लिखने के लिए भी संस्थान द्वारा विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। डॉ. कुसुम चौधरी को देश भर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा 200 से अधिक प्रमाण पत्र, प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो, अंगवस्त्र, नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है।